ये तेरी छाँव सी जुल्फें ,
जिसमें से छन कर आती है रौशनी ,
ये तेरा चाँद सा उफ्फाक चेहरा ,
अँधेरे को मद्धम चाँदनी बख्शता ,
रस-ओ-गुल से भरे तेरे लब ,
हूँ उतरता डूबता तेरी मौज-ए-इश्क में ,
की इन बाहों में समेट लूं तुझको ...
" मुझे ख़ुशी है की तुम्हे मुझसे इतना इश्क है ,
अब जब तुम पिता बनने वाले हो इसके ,
तो फक्र है कि मैंने तुमसे मुहब्बत की "
क्या ? कब ? किसका ? ओह ...
" कहाँ जा रहे हो ? "
अब बचा क्या है यहाँ , ना हूर , ना नूर ,
मुझे इश्क था एक नाजनी से ,
एक जवाँ शोखी से ...
मैं नहीं देख सकता तुझे एक माँ ,
और नहीं झेल सकता किसी को ,
मा मा मा करके रोते हुए !!
< अ-से >
जिसमें से छन कर आती है रौशनी ,
ये तेरा चाँद सा उफ्फाक चेहरा ,
अँधेरे को मद्धम चाँदनी बख्शता ,
रस-ओ-गुल से भरे तेरे लब ,
हूँ उतरता डूबता तेरी मौज-ए-इश्क में ,
की इन बाहों में समेट लूं तुझको ...
" मुझे ख़ुशी है की तुम्हे मुझसे इतना इश्क है ,
अब जब तुम पिता बनने वाले हो इसके ,
तो फक्र है कि मैंने तुमसे मुहब्बत की "
क्या ? कब ? किसका ? ओह ...
" कहाँ जा रहे हो ? "
अब बचा क्या है यहाँ , ना हूर , ना नूर ,
मुझे इश्क था एक नाजनी से ,
एक जवाँ शोखी से ...
मैं नहीं देख सकता तुझे एक माँ ,
और नहीं झेल सकता किसी को ,
मा मा मा करके रोते हुए !!
< अ-से >
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