अभिव्यक्ति में जिसकी ब्रह्मा पूरा संसार सतत रचते रहे ,
आनंद को जिसके निरंतर भावते हुए विष्णु नियत डूबे रहे ,
रूद्र अपनी अग्नि से जिसे एकसार करने में रहे लगे ,
महेश्वर जिसको एक रूप से दूसरे रूप तक बदलते रहे ,
वो अव्यक्त शिव तब भी अव्यक्त ही है !!
< अ-से >
आनंद को जिसके निरंतर भावते हुए विष्णु नियत डूबे रहे ,
रूद्र अपनी अग्नि से जिसे एकसार करने में रहे लगे ,
महेश्वर जिसको एक रूप से दूसरे रूप तक बदलते रहे ,
वो अव्यक्त शिव तब भी अव्यक्त ही है !!
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