सब जग ढूंढो प्रेम नू , मिले न प्रेमी कोए ।
आपहूँ दिल जब जागे प्रीत , सब जग प्रेमी होए ।।
फिर भर बरबस बरसे प्रेम , आनंद घनेरा बोए ।
जो इक प्रेमी ते दूजा मिलै , सब तप शीतल होए ।।
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इक रात की नरमाई में घन घोर सवेरा हुआ ,
तन्हाई को तबाह कर दुनिया का बसेरा हुआ ,
खामोश दिल को चीरता शोर पनपने लगा ,
और दुनियावी चकाचौंध का सूरज चमकने लगा !!
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