Feb 5, 2014

वो उठा और दक्षिण की ओर चल दिया ...

एक स्पंद के साथ उसने आँखें खोली ,
कुछ विचलन था हृदि में ,
उसको जानना था कुछ ,
शायद कोई विज्ञान ...

वो उठा और दक्षिण की ओर चल दिया ...

उसने देखे पर्वत , नदी , मैदान , वृक्ष , फल , फूल और घास ...
उसने देखी जमीन और देखे अपने पाँव ,
उसने हाथ उठाया और अपनी उँगलियों में बहाव महसूस किया , वायु का ,
नदी के किनारे अंजुली भर पानी पिया , और जानी अपनी प्यास और तृप्ति ...

उसने हर वस्तु को चिन्हित किया , तर्जनी रखकर ,
अपनी स्मृति में ,
महासागर तक पहुँचते पहुँचते उसने जान लिया था संसार ,
और वो जल बनकर समा गया समुद्र में ,
अब कोई विचलन न था !!

< अज्ञ >

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