हर पल को कई गुना जी चूका है वो अतीत में
सदी पुराना है इस शख्स का इतिहास
सब कुछ एक पंक्ति पर याद रखने की क्षमता
और सब कुछ जान पाने की एक गहरी चाहत
अब ज्यादा कुछ नज़र नहीं आता नया पर तलाश हमेशा ही नयी रहती है !
आँखों के सामने घूमता है सबकुछ जाना हुआ
और उनके क्रमचयों में से फिर निकल आता है अगला पल
बहुत बूढ़ा हो चूका है ये शख्स
पर जीवन की प्यास कभी कम नहीं होती इसकी !
जाने कितनी दुर्घटनाएं झेल चुका है अस्तित्व
घायल मन और खड़खड़ाते हुए पिंजर के बावजूद
ये जंगली विडाल नहीं अफोर्ड कर सकता चैन से बैठ जाना
इच्छा मृत्यु पाया हुआ भीष्म नहीं चुन सकता अभी अपने लिए मृत्यु
बावजूद अपनी खायी हुयी चोटों के दर्द के तीखी नमकीन बातों की चुभन के
संघर्ष करना है आखिरी साँस तक
इंतेज़ार करना है आखिरी आस तक
जलते रहना है जब तक जीवन जल का आखिरी कतरा रौशनी दे सके !
जिसके लिए कभी शर्म और संकोच ही बुद्धिमानी होती थी
इनको रेशा रेशा होते हुए उसे देखना है सब निगल जाना है
अस्तित्व के आखिरी छोर तक काल का सामने से स्वागत करना है !
और अपनी सारी विषमताओं के बावजूद कुछ बचाए रखना है
दिल से दिल की , रौशनी से रौशनी की पहचान और पहचान की ख़ुशी
अटकती यादों खड़खड़ाती साँसों और सख्त हो चुके फेफड़ों के बावजूद एक हँसी
और कुछ अच्छे मस्त फ़कीरी फक्कड़ और ठहरे हुए लोगों का साथ !
हालांकि अब उतना ठहराव नहीं इस पल में
जितना बचपन की आजादी के पलों में था
पर कुछ ना कुछ ठहराव शेष रहता ही है
आखिर थोड़ी आज़ादी हम बचाए रखते हैं
आखिर थोड़ी आज़ादी हमें बचाए रखती है !!
अ से
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