अपने दर्द भूलकर
झांकता है आँखों से बाहर
हर जलन पर पानी पीकर
मुस्कुराने का प्रयास करता है
और टूट जाता है
उसके प्रयासों में कोई मन नहीं है !
अपने से निकलकर
वो अपनों में जाता है
अपने मुरझाये पौधों को देख
साथ ले जाता है एक लौटा पानी
और लौटा लाता है
उसके पड़ोस में पौधे नहीं हैं !
अपनी समस्याओं को नकार
आस भर की हुंकार भरता है
अपने विश्वास का पायजामा पहन
समस्या के घर से निकल पड़ता है
और लौट आता है
उसका घर उसके साथ चलता है !
अ से
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