निश्चिंतता से आँखें बंद कर देख लेते थे सपने
तब पलक झपकते ही ताड़ लेते थे हम हकीक़त
निश्चिन्त होकर सुनते थे हर बात हम
तब इस कदर झूठा नहीं था आकाश
नहीं थी जानकारियां इतनी संदेहास्पद
हवा में जहर और प्यास में गन्दगी नहीं थी
साँसे थी सुकून था और मौसम में एक ठंडक थी भरोसे की
और करीब से गुज़रते समय के क़दमों की एक स्पष्ट आवाज़
अब समय दौड़ रहा है दिमाग में
और दिमाग सुन्न हो चुका है दिल में
अब अफवाहें साल भर गर्मी बनाये रखती हैं
नथुने सक्रिय रहते हैं इष्ट अनिष्ट गंधों के प्रति
कानों के छेद छोटे हो गए हैं और जबान दोहरी हो चुकी है
अब भावनाओं से सडांध आती है
सीलन भरे हुए रिश्ते जगह जगह से रिसने लगे हैं
और सच्चे प्रेम गीत अब दिल को भेदने लगे हैं
बीता हुआ समय मितली सा एहसास कराता है ज़हन में
वो अपने अंधेपन में बिना रुके करते हैं वार
देख सकने वाले तलाशते रह जाते हैं सर छुपाने की जगह
तलवार तमंचे और तूफ़ान में तो फिर भी ईश्वर का वास होता है
पर फेंके गए पत्थरों का कोई दिल ईमान नहीं होता
वो अपनी आत्मा के कातिल चलन के बाशिंदे
अपनी वासनाओं के गुलाम अपनी इच्छाओं के प्रेत
रूहों से खींच लेते हैं सुकून आजादी और प्रेम
और भर देते हैं अविश्वास मजबूरी और अवसाद
और सब कुछ लूट लेने के बाद छिडक जाते हैं नमक जमीनों पर
मार डालते हैं बच्चों को और पालतू जानवरों का महाभोज कर लेते हैं
वो अपनी भूख के लिए
उजाड़ते आये हैं दिल दुनिया और दास्तान
और सदियों तक के लिए कर देते हैं उसे बंज़र !!
अ से
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