Aug 17, 2014

क्या तलाशती रहती हैं नज़रें इस खाली से आसमान में ...


क्या तलाशती रहती हैं नज़रें इस खाली से आसमान में

क्या देखकर ठहर जाता है दिल इस जादुई जहान में  !!

वो कौआ जाने किसकी राह तकता रहा अब तक 

जिसको पुकारते उसके गीत कर्कश हो गए हैं !

सारी रात किस इन्तेज़ार में काट दी है उन्होंने 
कि सुबह होते ही बतियाने लगी हैं ये गौरैया !

क्या राज दबाये रहते हैं क्या कहते हैं एक दुसरे से 
एकांत और सुकून तलाशते ये कबूतर के जोड़े !

अफवाहों के शोर में भी खामोश बहती ये हवायें
आखिर किसकी बातों में खोयी हुयी मद मस्त रहती हैं !

ठीक सुबह से अपने तप में लगा ये सूरज
समुद्र से मिलते इतना ठंडा क्यूँ पड़ जाता है !

कभी खिला हुआ कभी खोया हुआ सा ये चाँद
क्यों चला आता है हर रात तारों के बीच मुस्कुराने !

क्यों बैचैन टहलते हैं ये शेर इधर से उधर
पेट भरा होने पर भी इन पिंजरों में !

क्यों साँसों की सुध बुध छोड़ देती हैं ये औषधियां
और मदमस्त पकती रहती है रात की रोशनी में !

क्यों बहती रहती है नदियाँ अविरत चट्टानों को काटती
कहाँ पहुँचने की जल्दी रहती है उन्हें इस कदर !

क्यों ठहरा हुआ रहता है सागर खुद में ही हिलोरे मारते हुए
आखिर किसके लिए वो सूखने नहीं देता खुद को कभी !

आखिर क्यों घुल जाता है नमक इतनी आसानी से हर कहीं
किस के आँसूओं से भरा हुआ है पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा !!

अ से 

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