Aug 17, 2014

चौकीदार


चौकीदार 

देखता है आते जाते लोगों को 
ख़ुशी ख़ुशी मिलने आते लोग 
बड़बड़ाते हए निकल जाते लोग 
थके हुए घर आते 
किसी काम से बाहर निकल जाते 
बड़े गुस्से में आते  
बड़े गुस्से में निकल जाते 
खाली होकर आते 
भरकर खाली निकल जाते 
भरे हुए आते लोग
खाली होकर भरे हुए निकल जाते लोग

फिर से नया दिन
या किसी पुराने दिन का दोहराव
या किसी आने वाले दिन का पूर्व अभ्यास
फिर से एक दरवाजा
फिर सामने एक सड़क
फिर से आते जाते लोग
फिर बाहर एक दुनिया
फिर भीतर एक महफ़िल

चौकीदार दरवाजा है
वो दरवाजा जिसका कोई सम्मान नहीं है
दरवाजा चौकीदार है
वो चौकीदार जिसको कोई सुध नहीं है
चौकीदार इंसान है
वो इंसान जिसकी किसी को सुध नहीं है
हर दर बेजान है
पर वो बेजान जिसका कोई ना कोई मान है !!

अ से 

No comments: