चौकीदार
देखता है आते जाते लोगों को
ख़ुशी ख़ुशी मिलने आते लोग
बड़बड़ाते हए निकल जाते लोग
थके हुए घर आते
किसी काम से बाहर निकल जाते
बड़े गुस्से में आते
बड़े गुस्से में निकल जाते
खाली होकर आते
भरकर खाली निकल जाते
भरे हुए आते लोग
खाली होकर भरे हुए निकल जाते लोग
फिर से नया दिन
या किसी पुराने दिन का दोहराव
या किसी आने वाले दिन का पूर्व अभ्यास
फिर से एक दरवाजा
फिर सामने एक सड़क
फिर से आते जाते लोग
फिर बाहर एक दुनिया
फिर भीतर एक महफ़िल
चौकीदार दरवाजा है
वो दरवाजा जिसका कोई सम्मान नहीं है
दरवाजा चौकीदार है
वो चौकीदार जिसको कोई सुध नहीं है
चौकीदार इंसान है
वो इंसान जिसकी किसी को सुध नहीं है
हर दर बेजान है
पर वो बेजान जिसका कोई ना कोई मान है !!
अ से
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