सच ,
सच अपने दरवाजे कभी बंद नहीं करता ,
वो पूरे गर्व से सीना फुलाए , वहीँ रहता है , अपने घर में ,
और करता है इंतज़ार ॥
उसकी कुर्सी वही दरवाजे के पास रहती है ,
कि कोई शर्म या पश्चाताप में चला ही न जाए दरवाजे से ॥
बड़ा सीधा सरल और शांत व्यक्तित्व का ,
नहीं करता कोई शिकायत ,
उसे मंजूर है,
तुम्हारा चले जाना ,
उसे पता है तुम आओगे ॥
पर फिर भी ,
एक दरवाजा है उसके दर पर ,
एक स्वचालित किवाड़ ,
बार बार आने जाने वालों के लिए ,
जो खुलना कम कर देता है , हर पुनरावृत्ति पर ,
और एक दिन वो इतना संकरा भी हो सकता है ,
की सिर्फ एक किरण भर ही गुज़र पाए उससे ,
वो भी ये जताने को की क्या ठुकराते आये हो तुम , बार बार ॥
अबकी बार उधर जाओ , तो पूरा मन बनाकर जाना ,
वहाँ लम्बे समय तक रहने का ,
मैं जानता हूँ फिर तुम नहीं आओगे लौटकर ,
आग की ही तरह ,
वो भी बहुत अच्छा मेजबान है ॥
और जब कभी जाओ ,
तो मेरा ये संदेशा लेते जाना ,
बहुत परेशां हूँ यहाँ , कि बहुत याद आती है उसकी,
पर आ नहीं सकता ,
अपने वादे तोड़कर ॥ ........................... "वादा " ॥
..........................................................अ से अनुज ॥
सच अपने दरवाजे कभी बंद नहीं करता ,
वो पूरे गर्व से सीना फुलाए , वहीँ रहता है , अपने घर में ,
और करता है इंतज़ार ॥
उसकी कुर्सी वही दरवाजे के पास रहती है ,
कि कोई शर्म या पश्चाताप में चला ही न जाए दरवाजे से ॥
बड़ा सीधा सरल और शांत व्यक्तित्व का ,
नहीं करता कोई शिकायत ,
उसे मंजूर है,
तुम्हारा चले जाना ,
उसे पता है तुम आओगे ॥
पर फिर भी ,
एक दरवाजा है उसके दर पर ,
एक स्वचालित किवाड़ ,
बार बार आने जाने वालों के लिए ,
जो खुलना कम कर देता है , हर पुनरावृत्ति पर ,
और एक दिन वो इतना संकरा भी हो सकता है ,
की सिर्फ एक किरण भर ही गुज़र पाए उससे ,
वो भी ये जताने को की क्या ठुकराते आये हो तुम , बार बार ॥
अबकी बार उधर जाओ , तो पूरा मन बनाकर जाना ,
वहाँ लम्बे समय तक रहने का ,
मैं जानता हूँ फिर तुम नहीं आओगे लौटकर ,
आग की ही तरह ,
वो भी बहुत अच्छा मेजबान है ॥
और जब कभी जाओ ,
तो मेरा ये संदेशा लेते जाना ,
बहुत परेशां हूँ यहाँ , कि बहुत याद आती है उसकी,
पर आ नहीं सकता ,
अपने वादे तोड़कर ॥ ........................... "वादा " ॥
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