Oct 16, 2013

माना न ही कोई वर्किंग आवर्स तय किये हैं , न ही कोई सेलेरी ,
पर तुम काम में आलस कैसे कर सकती हो , कैसे भूल गयी ,
कहाँ खर्च कर दिए इतने , दो दिन पहले ही तो दिए थे ॥

सुबह की चाय , उठने के समय पर हो ,
न ठंडी न देर से ,
नाश्ता पिछले दिन से अलग हो ,
राशन बाद में देखा जाएगा ,
हाथ का कटना छिलना चलता है ,
पर बर्तन साफ़ रखना कल ग्लास पर विम लगा था , और पानी छान के भरा करो ,
और मेरी वो पेंट , वो कहाँ रख देती हो ,
और इस पर इस्तरी क्यों नहीं हुयी , क्या करती हो दिनभर ॥

नहीं , बच्चों की पिटाई पर रोना मत रोओ , तुम्ही ने बिगाड़े हैं ,
यूँ थरथरा क्यों रही हो ,अब खड़े खड़े मूहँ क्या देख रही हो ,
दिल जलाती रहो ,
पर रोटियाँ नहीं जलनी चाहिए ,
हिटलर तुमने देखे कहाँ है , कोई और होता तो सांस लेना भी मुश्किल कर देता ,
तुम्हारे चाल चलन पर ,
और तुझे क्या मतलब है कल लेट क्यों आया , अय्याशियाँ करता हूँ न मैं तो सुबह से शाम तक ,
इतनी देर किससे गप्पे लड़ती रहती हो , इतनी रात गए कोन फ़ोन करता है भला ,
दिन में कहाँ गयी थी , तुम्हारी माँ खुद नहीं आ सकती थी ,
अगर इतना ही शौक है तो चली क्यों नहीं जाती अपने बाप के पास ॥

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अरे उस शर्मा ने पैसे नहीं दिए , वर्मा ने भी कम दिए , गुप्ता भी वापस मांग रहा था ,
सेलेरी भी कम आई है इस बार छुट्टियां जो ले ली थी ,
किश्त भी भरनी है ,
स्कूल वाले भी सर पर चढ़े रहते हैं , तुम ही हो आना इनके स्कूल ॥

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अब सर मत खा सो जा जाकर ,
हाँ !! मेरी मर्जी होगी वो ही करूँगा ॥

..................................................................... अ-से अनुज ॥

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