
भविष्य से आती रौशनी की रंगहीन उजली चॉक से ,
मैं उकेरने की कोशिश में रहता हूँ एक उज्जवल इतिहास ,
जो की मेरे साथ लिखा जायेगा ,
एक उपनाम की तरह ॥
पर मृत्यु भी किसी प्रिज्म की तरह रखी होती है ,
वहीँ आपके पास ,
वो प्रकाश को कतल कर बना देती है रंगीन ,
लाल पीले नीले रंगों सा नज़र आता है फिर अतीत ,
बेहतर लगता है , पर भव्यता खो जाती है ,
सारी मेहनत कहीं खो जाती है , उजास की तरह ॥
तीन रंगों से बने इन्द्रधनुषी अतीत में ,
खोजने निकलता हूँ रौशनी ,
और मायावी कांचों से गुजरते ,
अपवर्तन और परावर्तन में फंस सा जाता हूँ ,
आदत सी हो जाती है इन रंगीनियों की ॥
वक़्त के साथ भविष्य से आती रौशनी ,
खलने लगती है आँखों को ,
अब वो भरोसा नहीं देती ,
रंगों से आश्वस्त हुआ मैं ,
भूल सा जाता हूँ ,
उस खाली ब्लैक बोर्ड ,
और अपने हाथों मैं पकड़ी चॉक को ,
अब नहीं लिखा जाता कुछ भी ॥
............................................................अ-से अनुज ॥
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