
कई लोग उग आये हैं दीवारों पर कानों की तरह ॥
सब ओर लहराते हुए परदों के बीच तैरती हैं अजीबोगरीब आकृतियाँ ,
अनजानी दीवारों से टकराती खिडकियों से पार जाती हुई ॥
रंग बिरंगी रोशनियों में जलता है संसार सारा ,
आँखों के रास्ते दिल तक पंहुचती है दहक उनकी ॥
वेग से बहता हुआ प्यार हर दिशा में मारता है हिलोरे ,
जीभ लेती है उठती गिरती लहरों का खट्टा मीठा नमक ॥
नयी उगी दूब पर खिलते हैं ख्वाब सारे , ओस में धुले हुए ,
वहीँ हकीक़त होती है खुशबू उनकी और वहीँ हो जाते हैं सब कहानी ॥
.................................................................. अ से अनुज ॥
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